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भारत का मिसाइलमैन, APJ अब्दुल कलाम



नहीं रहा भारत का मिसाइलमैन, APJ अब्दुल कलाम का दिल का दौरा पड़ने से निधन

देश के पूर्व राष्ट्रपति और मशहूर वैज्ञानिक एपीजे अब्दुल कलाम का निधन हो गया है. दिल का दौरा पड़ने से सोमवार को शिलॉन्ग में उनका निधन हो गया.
83 वर्ष के अब्दुल कलाम अपनी शानदार वाक कला के लिए मशहूर थे, लेकिन खबरों के मुताबिक, एक लेक्चर के दौरान ही काल ने उन्हें अपना ग्रास बना लिया. आईआईएम शिलॉन्ग में अपने लेक्चर के दौरान ही उन्हें दिल का दौरा पड़ा, जिसके बाद वह बेहोश होकर गिर पड़े.
उन्हें तुरंत बेथानी अस्पताल लाया गया. अस्पताल में डॉक्टरों ने भरसक कोशिश की, लेकिन तब तक उनका देहांत हो चुका था. अपनी मौत से करीब 9 घंटे पहले ही उन्होंने ट्वीट करके बताया था कि वह शिलॉन्ग आईआईएम में लेक्चर के लिए जा रहे हैं. उनका आखिरी ट्वीट यही था.


व्यावसायिक जीवन
1962 में वे 'भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन' में आये। डॉक्टर अब्दुल कलाम को प्रोजेक्ट डायरेक्टर के रूप में भारत का पहला स्वदेशी उपग्रह (एस.एल.वी. तृतीय) प्रक्षेपास्त्र बनाने का श्रेय हासिल हुआ। 1980 में इन्होंने रोहिणी उपग्रह को पृथ्वी की कक्षा के निकट स्थापित किया था। इस प्रकार भारत भी अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष क्लब का सदस्य बन गया। इसरो लॉन्च व्हीकल प्रोग्राम को परवान चढ़ाने का श्रेय भी इन्हें प्रदान किया जाता है। डॉक्टर कलाम ने स्वदेशी लक्ष्य भेदी (गाइडेड मिसाइल्स) को डिजाइन किया। इन्होंने अगनि एवं पृथ्वी जैसी मिसाइल्स को स्वदेशी तकनीक से बनाया था। डॉक्टर कलाम जुलाई 1992 से दिसम्बर 1999 तक रक्षा मंत्री के विज्ञान सलाहकार तथा सुरक्षा शोध और विकास विभाग के सचिव थे। उन्होंने स्ट्रेटेजिक मिसाइल्स सिस्टम का उपयोग आग्नेयास्त्रों के रूप में किया। इसी प्रकार पोखरण में दूसरी बार न्यूक्लियर विस्फोट भी परमाणु ऊर्जा के साथ मिलाकर किया। इस तरह भारत ने परमाणु हथियार के निर्माण की क्षमता प्राप्त करने में सफलता अर्जित की। डॉक्टर कलाम ने भारत के विकासस्तर को 2020 तक विज्ञान के क्षेत्र में अत्याधुनिक करने के लिए एक विशिष्ट सोच प्रदान की। यह भारत सरकार के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार भी रहे। 1982 में वे भारतीय रक्षा अनुसंधान एवं विकास संस्थान में वापस निदेशक के तौर पर आये और उन्होंने अपना सारा ध्यान "गाइडेड मिसाइल" के विकास पर केन्द्रित किया। अग्नि मिसाइल और पृथवी मिसाइल का सफल परीक्षण का श्रेय काफी कुछ उन्हीं को है। जुलाई 1992 में वे भारतीय रक्षा मंत्रालय में वैज्ञानिक सलाहकार नियुक्त हुये। उनकी देखरेख में भारत ने 1998 में पोखरण में अपना दूसरा सफल परमाणु परीक्षण किया और परमाणु शक्ति से संपन्न राष्ट्रों की सूची में शामिल हुआ।

पूर्व राष्ट्रपति और
अब्दुल कलाम आजाद का निधन हो गया है।
वह शिलांग में एक लेक्चर देने के लिए गए थे। 83
साल के कलाम की शिलांग में आईआईएम में
लेक्चर देने गए थे लेकिन वहीं पर भाषण देने के
दौरान वह बेहोश होकर गिर पड़े।
जानकारी के अनुसार, उन्हें वहां के ही एक
अस्पताल में 7 बजे भर्ती कराया गया था।
सूत्रों ने बताया कि उनकी ब्लड प्रेशर और
दिल की धड़कन एकदम से कम हो गई थी
जिसके बाद उन्हें आईसीयू में भर्ती कराया
गया।
18 जुलाई, 2002 को डॉक्टर कलाम को नब्बे
प्रतिशत बहुमत द्वारा 'भारत का
राष्ट्रपति' चुना गया था और इन्हें 25 जुलाई
2002 को संसद भवन के अशोक कक्ष में
राष्ट्रपति पद की शपथ दिलाई गई। इस
संक्षिप्त समारोह में प्रधानमंत्री अटल
बिहारी वाजपेयी, उनके मंत्रिमंडल के सदस्य
तथा अधिकारीगण उपस्थित थे। इनका
कार्याकाल 25 जुलाई 2007 को समाप्त हुआ।
भारत के अब तक के सर्वाधिक लोकप्रिय व
चहेते राष्ट्रपतियों में से एक डॉ. अबुल पाकिर
जैनुलआब्दीन अब्दुल कलाम ने तमिलनाडु के एक
छोटे से तटीय शहर रामेश्वरम में अखबार बेचने से
लेकर भारत के राष्ट्रपति पद तक का लंबा
सफर तय किया है। पूर्व राष्ट्रपति अवुल पकिर
जैनुल्लाब्दीन अब्दुल कलाम को पूरा देश
एपीजे अब्दुल कलाम के नाम से जानता था।
वैज्ञानिक और इंजीनियर कलाम ने 2002 से
2007 तक 11वें राष्ट्रपति के रूप में देश की सेवा
की। मिसाइल मैन के रूप में प्रसिद्ध कलाम देश
की प्रगति और विकास से जुड़े विचारों से भरे
व्यक्ति थे।
एपीजे अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्टूबर 1931
को दक्षिण भारतीय राज्य तमिलनाडु के
रामेश्वरम में हुआ। पेशे से नाविक कलाम के
पिता ज्यादा पढ़े लिखे नहीं थे। ये मछुआरों
को नाव किराये पर दिया करते थे। पांच भाई
और पांच बहनों वाले परिवार को चलाने के
लिए पिता के पैसे कम पड़ जाते थे इसलिए
शुरुआती शिक्षा जारी रखने के लिए कलाम
को अखबार बेचने का काम भी करना पड़ा।
आठ साल की उम्र से ही कलाम सुबह 4 बचे उठते
थे और नहाकर गणित की पढ़ाई करने चले जाते
थे। सुबह नहाकर जाने के पीछे कारण यह था
कि प्रत्येक साल पांच बच्चों को मुफ्त में
गणित पढ़ाने वाले उनके टीचर बिना नहाए
आए बच्चों को नहीं पढ़ाते थे। ट्यूशन से आने के
बाद वो नमाज पढ़ते और इसके बाद वो सुबह
आठ बजे तक रामेश्वरम रेलवे स्टेशन और बस अड्डे
पर न्यूज पेपर बांटते थे।
कलाम ‘एयरोस्पेस टेक्नोलॉजी’ में आने के
पीछे अपनी पांचवी क्लास के टीचर
सुब्रह्मण्यम अय्यर को बता

10:47:13 PM
ते थे। वो कहते हैं,
‘वो हमारे अच्छे टीचर्स में से थे। एक बार
उन्होंने क्लास में पूछा कि चिड़िया कैसे
उड़ती है? क्लास के किसी छात्र ने इसका
उत्तर नहीं दिया तो अगले दिन वो सभी
बच्चों को समुद्र के किनारे ले गए, वहां कई
पक्षी उड़ रहे थे। कुछ समुद्र किनारे उतर रहे थे
तो कुछ बैठे थे, वहां उन्होंने हमें पक्षी के उड़ने के
पीछे के कारण को समझाया, साथ ही
पक्षियों के शरीर की बनावट को भी
विस्तार पूर्वक बताया जो उड़ने में सहायक
होता है। उनके द्वारा समझाई गई ये बातें मेरे
अंदर इस कदर समा गई कि मुझे हमेशा महसूस
होने लगा कि मैं रामेश्वरम के समुद्र तट पर हूं
और उस दिन की घटना ने मुझे जिंदगी का
लक्ष्य निर्धारित करने की प्रेरणा दी। बाद
में मैंने तय किया कि उड़ान की दिशा में ही
अपना करियर बनाऊं। मैंने बाद में फिजिक्स
की पढ़ाई की और मद्रास इंजीनियरिंग
कॉलेज से एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में
पढ़ाई की।’
1962 में कलाम इसरो में पहुंचे। इन्हीं के प्रोजेक्ट
डायरेक्टर रहते भारत ने अपना पहला स्वदेशी
उपग्रह प्रक्षेपण यान एसएलवी-3 बनाया।
1980 में रोहिणी उपग्रह को पृथ्वी की कक्षा
के समीप स्थापित किया गया और भारत
अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष क्लब का सदस्य बन
गया। कलाम ने इसके बाद स्वदेशी गाइडेड
मिसाइल को डिजाइन किया। उन्होंने
अग्नि और पृथ्वी जैसी मिसाइलें भारतीय
तकनीक से बनाईं। 1992 से 1999 तक कलाम
रक्षा मंत्री के रक्षा सलाहकार भी रहे। इस
दौरान वाजपेयी सरकार ने पोखरण में दूसरी
बार न्यूक्लियर टेस्ट भी किए और भारत
परमाणु हथियार बनाने वाले देशों में शामिल
हो गया। कलाम ने विजन 2020 दिया। इसके
तहत कलाम ने भारत को विज्ञान के क्षेत्र में
तरक्की के जरिए 2020 तक अत्याधुनिक करने
की खास सोच दी गई। कलाम भारत सरकार
के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार भी रहे।
1982 में कलाम को डीआरडीएल (डिफेंस
रिसर्च डेवलपमेंट लेबोरेट्री) का डायरेक्टर
बनाया गया। उसी दौरान अन्ना
यूनिवर्सिटी ने उन्हें डॉक्टर की उपाधि से
सम्मानित किया। कलाम ने तब रक्षामंत्री
के वैज्ञानिक सलाहकार डॉ. वीएस
अरुणाचलम के साथ इंटीग्रेटेड गाइडेड मिसाइल
डेवलपमेंट प्रोग्राम (आईजीएमडीपी) का
प्रस्ताव तैयार किया। स्वदेशी मिसाइलों के
विकास के लिए कलाम की अध्यक्षता में एक
कमेटी बनाई गई।
इसके पहले चरण में जमीन से जमीन पर मध्यम
दूरी तक मार करने वाली मिसाइल बनाने पर
जोर था। दूसरे चरण में जमीन से हवा में मार
करने वाली मिसाइल, टैंकभे

10:47:13 PM
दी मिसाइल और
रिएंट्री एक्सपेरिमेंट लॉन्च वेहिकल (रेक्स)
बनाने का प्रस्ताव था। पृथ्वी, त्रिशूल,
आकाश, नाग नाम के मिसाइल बनाए गए।
कलाम ने अपने सपने रेक्स को अग्नि नाम
दिया। सबसे पहले सितंबर 1985 में त्रिशूल फिर
फरवरी 1988 में पृथ्वी और मई 1989 में अग्नि
का परीक्षण किया गया। इसके बाद 1998 में
रूस के साथ मिलकर भारत ने सुपरसोनिक क्रूज
मिसाइल बनाने पर काम शुरू किया और
ब्रह्मोस प्राइवेट लिमिटेड की स्थापना की
गई। ब्रह्मोस को धरती, आसमान और समुद्र
कहीं भी दागी जा सकती है। इस सफलता के
साथ ही कलाम को मिसाइल मैन के रूप में
प्रसिद्धि मिली और उन्हें पद्म विभूषण से
सम्मानित किया गया।
कलाम को 1981 में भारत सरकार ने देश के
सर्वोच्च नागरिक सम्मान, पद्म भूषण और
फिर, 1990 में पद्म विभूषण और 1997 में भारत
रत्न प्रदान किया। भारत के सर्वोच्च पर पर
नियुक्ति से पहले भारत रत्न पाने वाले कलाम
देश के केवल तीसरे राष्ट्रपति हैं। उनसे पहले यह
मुकाम सर्वपल्ली राधाकृष्णन और जाकिर
हुसैन ने हासिल किया।

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