'तकनीक के जरिये बच्चों तक पहुंचने की कोशिश'
http://gg.gg/AMAR-UJALA

मैं गुजरात के जूनागढ़ स्थित बरवाला सेकंडरी स्कूल में गणित का शिक्षक हूं। मैंने देखा है कि कई शिक्षक अच्छी-खासी फीस लेकर प्राइवेट ट्यूशन पढ़ाते हैं, जिससे गरीब छात्र हमेशा महरूम रहते हैं। ऐसे ही वंचित बच्चों के लिए ही मैंने किसी ऐसी वैकल्पिक व्यवस्था के बारे में सोचा। आठ साल पहले ही मुझे इंटरनेट की ताकत का अंदाजा हो गया था। मैंने 2010 में अपनी वेबसाइट रजिस्टर की थी। चूंकि मैं इंटरनेट की दुनिया से बिल्कुल अनभिज्ञ था, सो मुझे नियमित रूप से वेबसाइट अपडेट करने में साल भर से ज्यादा वक्त लग गया। लेकिन एक बार सब कुछ समझने के बाद मैं नियमित रूप से गणित की पढ़ाई संबंधी वीडियो अपनी वेबसाइट पर अपलोड करने लगा। मैं चाहता था कि कोई भी विद्यार्थी कहीं से भी अपने मुताबिक पाठ्य सामग्री तक पहुंच सके। विद्यार्थियों की मदद के लिए कई तरह के प्रश्न-पत्र और उनके उत्तरों को भी मैंने वेबसाइट पर अपलोड किया। तकनीक के सहारे पढ़ाई को और रुचिकर बनाने के लिए मैं तरह-तरह के प्रयोग करता रहता हूं। मैंने अमिताभ बच्चन के प्रसिद्ध टीवी शो-कौन बनेगा करोड़पति की स्टाइल में क्विज तैयार करके वेबसाइट पर अपलोड की है। इस तरह की क्विज के बहुत सकारात्मक परिणाम देखने को मिले हैं।
शिक्षा के क्षेत्र में काम कर रहे ब्लॉगर्स के लिए आयोजित किए गए एक कार्यक्रम से मैंने काफी कुछ सीखा है। वह कार्यक्रम यूनिसेफ द्वारा आयोजित किया गया था। मैंने उनके सुझावों पर बखूबी अमल किया। मैं खुद को सिर्फ गणित के शिक्षक के रूप में सीमित नहीं रखना चाहता था। अपनी वेबसाइट और यूट्यूब चैनल पर मैंने मूल्य आधारित शैक्षणिक वीडियो भी अपलोड किए हैं, जिसमें मेरी पत्नी की आवाज का प्रयोग किया गया है।
मेरी पत्नी भावना एक आयुर्वेदिक अस्पताल में काम करती है। डिजिटल मंच की सभी तरह की जरूरतों के लिए मैंने अपनी जेब से सात लाख रुपये खर्च किए हैं। लेकिन ये रुपये किसी काम के नहीं होते, यदि इस काम में मुझे अपनी पत्नी का भावनात्मक सहारा न मिलता।
डिजिटल मीडिया के इस्तेमाल को लेकर मैंने अन्य शिक्षकों के लिए बीस से अधिक कार्यशालाओं का आयोजन किया है। उनके लिए मेरी कार्यशाला बिल्कुल निःशुल्क होती है। इस तरह मैंने अब तक करीब तीन हजार लोगों को प्रशिक्षण दिया है। यहां तक कि राज्य के शिक्षा मंत्री भूपेंद्र सिंह चुडासमा भी मेरे एक कार्यक्रम में भाग ले चुके हैं। यह सच में मेरे लिए एक सम्मान की बात है। पिछले वर्ष मुझे शिक्षकों के राष्ट्रीय पुरस्कार से भी नवाजा गया।
मैं और मेरी पत्नी मिलकर एक विशेष पुस्तक पर्व का भी आयोजन करते हैं, जहां से कोई भी जरूरतमंद बच्चा निःशुल्क किताबें ले सकता है। और उसे उस किताब को लौटाने की भी जरूरत नहीं होती। मैं तकनीक के जरिए गरीब बच्चों का भविष्य संवारने में जुटा हूं। मैं बस यही चाहता हूं कि जो बच्चे ट्यूशन पढ़ने में असमर्थ हैं, वे घर बैठे मेरी क्लास के जरिये पढ़ाई करें। आज की तारीख में मेरी वेबसाइट पर लाखों विजिटर हैं, जबकि मेरे यूट्यूब चैनल के भी हजारों फॉलोअर हैं। स्मार्टफोन के युग में कोई भी मुझसे जुड़कर बहुत आसानी से गणित की उलझनें सुलझा सकता है।
-विभिन्न साक्षात्कारों पर आधारित।
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VIDEO TV NEWS NEWS18
https://www.youtube.com/watch?v=qFdGE6ZEDd4
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IIM NEWS AHEMDABAD
http://www.inshodh.org/news-detail.php?news_id=91
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मैं गुजरात के जूनागढ़ स्थित बरवाला सेकंडरी स्कूल में गणित का शिक्षक हूं। मैंने देखा है कि कई शिक्षक अच्छी-खासी फीस लेकर प्राइवेट ट्यूशन पढ़ाते हैं, जिससे गरीब छात्र हमेशा महरूम रहते हैं। ऐसे ही वंचित बच्चों के लिए ही मैंने किसी ऐसी वैकल्पिक व्यवस्था के बारे में सोचा। आठ साल पहले ही मुझे इंटरनेट की ताकत का अंदाजा हो गया था। मैंने 2010 में अपनी वेबसाइट रजिस्टर की थी। चूंकि मैं इंटरनेट की दुनिया से बिल्कुल अनभिज्ञ था, सो मुझे नियमित रूप से वेबसाइट अपडेट करने में साल भर से ज्यादा वक्त लग गया। लेकिन एक बार सब कुछ समझने के बाद मैं नियमित रूप से गणित की पढ़ाई संबंधी वीडियो अपनी वेबसाइट पर अपलोड करने लगा। मैं चाहता था कि कोई भी विद्यार्थी कहीं से भी अपने मुताबिक पाठ्य सामग्री तक पहुंच सके। विद्यार्थियों की मदद के लिए कई तरह के प्रश्न-पत्र और उनके उत्तरों को भी मैंने वेबसाइट पर अपलोड किया। तकनीक के सहारे पढ़ाई को और रुचिकर बनाने के लिए मैं तरह-तरह के प्रयोग करता रहता हूं। मैंने अमिताभ बच्चन के प्रसिद्ध टीवी शो-कौन बनेगा करोड़पति की स्टाइल में क्विज तैयार करके वेबसाइट पर अपलोड की है। इस तरह की क्विज के बहुत सकारात्मक परिणाम देखने को मिले हैं।
शिक्षा के क्षेत्र में काम कर रहे ब्लॉगर्स के लिए आयोजित किए गए एक कार्यक्रम से मैंने काफी कुछ सीखा है। वह कार्यक्रम यूनिसेफ द्वारा आयोजित किया गया था। मैंने उनके सुझावों पर बखूबी अमल किया। मैं खुद को सिर्फ गणित के शिक्षक के रूप में सीमित नहीं रखना चाहता था। अपनी वेबसाइट और यूट्यूब चैनल पर मैंने मूल्य आधारित शैक्षणिक वीडियो भी अपलोड किए हैं, जिसमें मेरी पत्नी की आवाज का प्रयोग किया गया है।
मेरी पत्नी भावना एक आयुर्वेदिक अस्पताल में काम करती है। डिजिटल मंच की सभी तरह की जरूरतों के लिए मैंने अपनी जेब से सात लाख रुपये खर्च किए हैं। लेकिन ये रुपये किसी काम के नहीं होते, यदि इस काम में मुझे अपनी पत्नी का भावनात्मक सहारा न मिलता।
डिजिटल मीडिया के इस्तेमाल को लेकर मैंने अन्य शिक्षकों के लिए बीस से अधिक कार्यशालाओं का आयोजन किया है। उनके लिए मेरी कार्यशाला बिल्कुल निःशुल्क होती है। इस तरह मैंने अब तक करीब तीन हजार लोगों को प्रशिक्षण दिया है। यहां तक कि राज्य के शिक्षा मंत्री भूपेंद्र सिंह चुडासमा भी मेरे एक कार्यक्रम में भाग ले चुके हैं। यह सच में मेरे लिए एक सम्मान की बात है। पिछले वर्ष मुझे शिक्षकों के राष्ट्रीय पुरस्कार से भी नवाजा गया।
मैं और मेरी पत्नी मिलकर एक विशेष पुस्तक पर्व का भी आयोजन करते हैं, जहां से कोई भी जरूरतमंद बच्चा निःशुल्क किताबें ले सकता है। और उसे उस किताब को लौटाने की भी जरूरत नहीं होती। मैं तकनीक के जरिए गरीब बच्चों का भविष्य संवारने में जुटा हूं। मैं बस यही चाहता हूं कि जो बच्चे ट्यूशन पढ़ने में असमर्थ हैं, वे घर बैठे मेरी क्लास के जरिये पढ़ाई करें। आज की तारीख में मेरी वेबसाइट पर लाखों विजिटर हैं, जबकि मेरे यूट्यूब चैनल के भी हजारों फॉलोअर हैं। स्मार्टफोन के युग में कोई भी मुझसे जुड़कर बहुत आसानी से गणित की उलझनें सुलझा सकता है।
-विभिन्न साक्षात्कारों पर आधारित।
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Meet Mr Baldevpari, Honored by PM Narendra Modi | News18 Gujarati
VIDEO TV NEWS NEWS18
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IIM NEWS AHEMDABAD
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ये हैं 'टीचर्स ऑफ इयर', पीएम ने किया सम्मानित
link-1 http://gg.gg/baldevnews
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Śreṣtha Guru Gaurav Award (Best Teacher Award)
link-2 https://sandipani.org/shri-hari-mandir/guru-purnima/
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TIMES OF INDIA NEWS-2
Teacher wins two nat’l awards in same year
http://gg.gg/TIMES-OF-INDIA
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TIMES OF INDIA NEWS-2
Teacher wins two nat’l awards in same year
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TIMES OF INDIA NEWS-1
Gujarat: He taught maths to thousands using Internet
Read more at:
http://timesofindia.indiatimes.com/articleshow/65614884.cms?utm_source=contentofinterest&utm_medium=text&utm_campaign=cppst
Gujarat: He taught maths to thousands using Internet
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Gujarat: He taught maths to thousands using Internet
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Gujarat: He taught maths to thousands using Internet
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DIVYABHASKAR NEWS
શિક્ષણનાં સુધારા માટે બે મોટા પગલા, ભાર વિનાનું ભણતર અને શિક્ષણમાં ટેકનોલોજીનો ઉપયોગ
http://gg.gg/bhaskarnews
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NAVBHART TIMES NEWS
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मिलिए एक ऐसे शिक्षक से जिन्होंने इंटरनेट के ज़रिये हजारों छात्रों की ज़िन्दगी बदल दी
पहले ज़माने से लेकर अब तक हम एक बात अक्सर सुनते आये है कि गुरु बिन घोर अँधेरा जिसका मतलब है कि गुरु के ज्ञान और मार्गदर्शन के बिना सफलता का मार्ग तय करना सम्भव नही है गुरु वो होता है जो जीवन की कठिनाईयों से हमें रूबरू करवाता है और साथ ही उन कठिनाईयों को पार करने का मार्ग भी बताता है। लेकिन अब समय बदल रहा है शिक्षा और शिक्षक के मापदण्ड बदल रहें है टेक्नोलॉजी का प्रभाव शिक्षा के क्षेत्र पर व्यापक हो चुका है ऐसे में सूचना क्रांति के इस युग में विद्यार्थी ही नही बल्कि उन्हें पढ़ाने वाले गुरु भी अपडेट होने लगे है टेक्नोलॉजी के साथ कदम बढ़ाने लगे। हमारी आज की कहानी भी एक ऐसे ही टीचर की है जो बच्चों को पढ़ाने के लिए हाईटेक टेक्नोलॉजी का सहारा लेते हैं उन्होंने साबित कर दिया की शिक्षा मार्ग दिखाती ही नही बल्कि खुद रास्ता भी बन जाती है।
गुजरात के वडोदरा में रहने वाले शिक्षक बलदेव पारी ने बच्चों को पढ़ाने के लिए मिसाल कायम की है वह हाइटेक तरीके से हजारों की संख्या में गरीब छात्र-छात्राओं को गणित विषय की शिक्षा देने में जुटे है और सबसे खास बात यह की उनकी कक्षा में पढ़ने के लिए बच्चों को किसी भी तरह की फीस अदा नही करनी होती है और बच्चे घर बैठे क्लास अटेंड कर लेते हैं। शिक्षक बलदेव पारी शिक्षा के क्षेत्र में नवाचार के लिए साल 2017 में नैशनल अवॉर्ड से सम्मानित किया जा चुका है।
बलदेव कुछ अलग तरह के टीचर है वो इंटरनेट की पॉवर को जानते है और उसे ही जरिया बना कर हजारों बच्चों को गणित पढ़ा रहे है। बलदेव जूनागढ़ जिले के बरवाला सेकंडरी स्कूल में शिक्षक के पद पर कार्यरत है वे नवीं और दसवीं के बच्चों को गणित और विज्ञान पढ़ाते हैं। बलदेव का मानना है की पढ़ाई में कमजोर बच्चों को ट्यूशन की जरूरत होती है पर कुछ बच्चे ऐसे होते हैं जिनकी आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं होती है और वे ट्यूशन की फीस देने में असमर्थ होते हैं बस फिर क्या था जहाँ एक ओर दूसरे शिक्षक ट्यूशन पढ़ाने के नाम पर पैसे कमाते हैं वहीं बलदेव ने इंटरनेट के जरिए क्लास चलाने का फैसला लिया। बलदेव बताते है कि "मैंने 2010 में अपनी वेबसाइट रजिस्टर्ड करवाई और काम शुरू किया। शुरुआत में मैं इस काम में कुशल नहीं था इसलिए मैंने पहले खुद सिखा और फिर वेबसाइट के माध्यम से बच्चों को 2011 से पढ़ाना शुरू किया।"
फोटो सोर्स :फेसबुक
बलदेव का सपना है की बच्चे उनकी क्लास की मदद से घर पर भी आसानी से पढ़ाई करें और आगे बढ़ें। बलदेव अपनी वेबसाइट और यूट्यूब चैनल पर गणित की क्लास के विडियो अपलोड करते इतना ही नही इसके लिए उन्होंने बतौर एक स्टूडियो भी बनाया है जहां उनकी क्लास की रिकॉर्डिंग होती है इतना ही नही बलदेव ने वेबसाइट और यूट्यूब पर विडियो अपलोड करने के लिए 7 लाख रुपये खर्च कर स्टूडियो बनाया है। बलदेव कहते है कि "यह सब करना मेरे लिए मेरी पत्नी भावना के बगैर संंभव नहीं था। हम अब तक 20 वर्कशॉप आयोजित कर चुके हैं इन वर्कशॉप में शिक्षकों को डिजिटल मीडिया के उपयोग के बारे में हम बताते है।" वर्तमान में उनकी वेबसाइट पर 93 लाख विजिटर हैं और उनके यूट्यूब चैनल के 5,500 फॉलोअर्स हैं। आज उनकी इस क्लास की वजह से हजारों बच्चों को ट्यूशन की जरूरत नहीं पड़ रही। बलदेव अपनी वेबसाइट पर लगातार विडियो पोस्ट करते हैं और बच्चों का जब भी मन करता है वे उनकी वेबसाइट पर जाकर अपने सवालों का हल ढूंढ लेते हैं और तो और बलदेव वेबसाइट पर प्रश्नपत्र भी अपलोड करते हैं साथ ही ऐसे ब्लॉगर्स के लिए भी कार्यक्रम आयोजित करते हैं जो शिक्षा के लिए काम करते हैं। इसमें उनके सुझाव और टिप्स लिए।
बलदेव का कहना है कि "मैं वेबसाइट पर वैल्यू एजुकेशन देना चाहता हूँ जिससे हर बच्चे तक शिक्षा पहुँच सकें।" अपनी योजना को साकार रूप देने के लिए बलदेव और उनकी पत्नी 'पुस्तक पर्व' का भी आयोजन करते हैं जहाँ से बच्चे किताबें ले सकते हैं जो उनसे कभी वापस नहीं ली जाती हैं।
वाक़ई शिक्षा के क्षेत्र में बलदेव और उनकी पत्नी भावना जो निःस्वार्थ सेवा कर रहें हैं अगर ऐसी ही सोच हर शिक्षक की हो तो शिक्षा सबके द्वार का सपना दूर नहीं होगा।#Gujarat #Vadodara #BaldevPari
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શિક્ષણનાં સુધારા માટે બે મોટા પગલા, ભાર વિનાનું ભણતર અને શિક્ષણમાં ટેકનોલોજીનો ઉપયોગ
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NAVBHART TIMES NEWS
मिलिए GUJARAT के हाइटेक टीचर से, मुफ्त में गरीब बच्चों को पढ़ाते हैं गणित
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पहले ज़माने से लेकर अब तक हम एक बात अक्सर सुनते आये है कि गुरु बिन घोर अँधेरा जिसका मतलब है कि गुरु के ज्ञान और मार्गदर्शन के बिना सफलता का मार्ग तय करना सम्भव नही है गुरु वो होता है जो जीवन की कठिनाईयों से हमें रूबरू करवाता है और साथ ही उन कठिनाईयों को पार करने का मार्ग भी बताता है। लेकिन अब समय बदल रहा है शिक्षा और शिक्षक के मापदण्ड बदल रहें है टेक्नोलॉजी का प्रभाव शिक्षा के क्षेत्र पर व्यापक हो चुका है ऐसे में सूचना क्रांति के इस युग में विद्यार्थी ही नही बल्कि उन्हें पढ़ाने वाले गुरु भी अपडेट होने लगे है टेक्नोलॉजी के साथ कदम बढ़ाने लगे। हमारी आज की कहानी भी एक ऐसे ही टीचर की है जो बच्चों को पढ़ाने के लिए हाईटेक टेक्नोलॉजी का सहारा लेते हैं उन्होंने साबित कर दिया की शिक्षा मार्ग दिखाती ही नही बल्कि खुद रास्ता भी बन जाती है।
गुजरात के वडोदरा में रहने वाले शिक्षक बलदेव पारी ने बच्चों को पढ़ाने के लिए मिसाल कायम की है वह हाइटेक तरीके से हजारों की संख्या में गरीब छात्र-छात्राओं को गणित विषय की शिक्षा देने में जुटे है और सबसे खास बात यह की उनकी कक्षा में पढ़ने के लिए बच्चों को किसी भी तरह की फीस अदा नही करनी होती है और बच्चे घर बैठे क्लास अटेंड कर लेते हैं। शिक्षक बलदेव पारी शिक्षा के क्षेत्र में नवाचार के लिए साल 2017 में नैशनल अवॉर्ड से सम्मानित किया जा चुका है।
बलदेव कुछ अलग तरह के टीचर है वो इंटरनेट की पॉवर को जानते है और उसे ही जरिया बना कर हजारों बच्चों को गणित पढ़ा रहे है। बलदेव जूनागढ़ जिले के बरवाला सेकंडरी स्कूल में शिक्षक के पद पर कार्यरत है वे नवीं और दसवीं के बच्चों को गणित और विज्ञान पढ़ाते हैं। बलदेव का मानना है की पढ़ाई में कमजोर बच्चों को ट्यूशन की जरूरत होती है पर कुछ बच्चे ऐसे होते हैं जिनकी आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं होती है और वे ट्यूशन की फीस देने में असमर्थ होते हैं बस फिर क्या था जहाँ एक ओर दूसरे शिक्षक ट्यूशन पढ़ाने के नाम पर पैसे कमाते हैं वहीं बलदेव ने इंटरनेट के जरिए क्लास चलाने का फैसला लिया। बलदेव बताते है कि "मैंने 2010 में अपनी वेबसाइट रजिस्टर्ड करवाई और काम शुरू किया। शुरुआत में मैं इस काम में कुशल नहीं था इसलिए मैंने पहले खुद सिखा और फिर वेबसाइट के माध्यम से बच्चों को 2011 से पढ़ाना शुरू किया।"

बलदेव का सपना है की बच्चे उनकी क्लास की मदद से घर पर भी आसानी से पढ़ाई करें और आगे बढ़ें। बलदेव अपनी वेबसाइट और यूट्यूब चैनल पर गणित की क्लास के विडियो अपलोड करते इतना ही नही इसके लिए उन्होंने बतौर एक स्टूडियो भी बनाया है जहां उनकी क्लास की रिकॉर्डिंग होती है इतना ही नही बलदेव ने वेबसाइट और यूट्यूब पर विडियो अपलोड करने के लिए 7 लाख रुपये खर्च कर स्टूडियो बनाया है। बलदेव कहते है कि "यह सब करना मेरे लिए मेरी पत्नी भावना के बगैर संंभव नहीं था। हम अब तक 20 वर्कशॉप आयोजित कर चुके हैं इन वर्कशॉप में शिक्षकों को डिजिटल मीडिया के उपयोग के बारे में हम बताते है।" वर्तमान में उनकी वेबसाइट पर 93 लाख विजिटर हैं और उनके यूट्यूब चैनल के 5,500 फॉलोअर्स हैं। आज उनकी इस क्लास की वजह से हजारों बच्चों को ट्यूशन की जरूरत नहीं पड़ रही। बलदेव अपनी वेबसाइट पर लगातार विडियो पोस्ट करते हैं और बच्चों का जब भी मन करता है वे उनकी वेबसाइट पर जाकर अपने सवालों का हल ढूंढ लेते हैं और तो और बलदेव वेबसाइट पर प्रश्नपत्र भी अपलोड करते हैं साथ ही ऐसे ब्लॉगर्स के लिए भी कार्यक्रम आयोजित करते हैं जो शिक्षा के लिए काम करते हैं। इसमें उनके सुझाव और टिप्स लिए।
बलदेव का कहना है कि "मैं वेबसाइट पर वैल्यू एजुकेशन देना चाहता हूँ जिससे हर बच्चे तक शिक्षा पहुँच सकें।" अपनी योजना को साकार रूप देने के लिए बलदेव और उनकी पत्नी 'पुस्तक पर्व' का भी आयोजन करते हैं जहाँ से बच्चे किताबें ले सकते हैं जो उनसे कभी वापस नहीं ली जाती हैं।
वाक़ई शिक्षा के क्षेत्र में बलदेव और उनकी पत्नी भावना जो निःस्वार्थ सेवा कर रहें हैं अगर ऐसी ही सोच हर शिक्षक की हो तो शिक्षा सबके द्वार का सपना दूर नहीं होगा।
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Teachers' Day 2018: From Developing Apps to Teaching on YouTube, Meet the Teachers Who Made a Difference
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Pari Baldevpari Javerpari, Gujarat
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अपनी जेब से 7 लाख रुपए खर्च कर गरीब बच्चों को ट्यूशन दे रहा है गुजरात का ये शिक्षकhttp://gg.gg/LINK-NEWS-1
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ડિજિટલ શિક્ષણ: શિક્ષકે ઘરે 7 લાખનો સ્ટુડિયો બનાવ્યો
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